What is Data Communication

Preeti Kumawat
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 Data Communication  

  • डेटा संचार डेटा या सूचना के आदान-प्रदान की एक प्रक्रिया है। 
  • कंप्यूटर नेटवर्क के मामले में यह आदान-प्रदान दो उपकरणों के बीच एक ट्रांसमिशन माध्यम पर किया जाता है। 
  • इस प्रक्रिया में एक संचार प्रणाली शामिल होती है जो हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से बनी होती है।
  • डेटा संचार एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें एक से अधिक कंप्यूटर एक दूसरे को सूचना, निर्देश स्थानांतरित करते हैं और संसाधनों को साझा करते हैं.
  • डेटा संचार नेटवर्क विभिन्न प्रकार के वायर्ड और वायरलेस संचार चैनलों का उपयोग करके डिजिटल डेटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक प्रसारित करते हैं। 
  • डेटा संचार का एक बहुत ही अच्छा उदाहरण इंटरनेट है जो लाखों कंप्यूटरों को जोड़ने वाले छोटे-छोटे परस्पर जुड़े नेटवर्कों का एक विशाल वैश्विक नेटवर्क है।

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Data communication protocol


TCP (ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल)

  • यह संचार प्रोटोकॉल का संग्रह है जिसके द्वारा इंटरनेट पर नेटवर्क के विभिन्न उपकरणों को जोडा जाता है . 
  • यह निर्धारित करता है कि जानकारी को इंटरनेट पर कैसे साझा किया जाएगा, जिसमें जानकारी को सूचना बंडलों में कैसे व्यवस्थित किया जाना चाहिए, संबोधित किया जाना चाहिए, प्राप्त किया जाना चाहिए और लक्ष्य पर भेजा जाना चाहिए।
  • यह स्रोत कंप्यूटर पर संदेशों को पैकेटों में विभाजित करने और प्राप्त पैकेट को गंतव्य या प्राप्तकर्ता कंप्यूटर पर भेजने का कार्य करता है . 
  • यह पूरे नेटवर्क में सूचना के पैकेटों की जांच भी करता है यदि कोई त्रुटि पाई जाती है तो पुनः ट्रांसमिशन की मांग करता है।



IP(इंटरनेट प्रोटोकॉल)

  • यह प्रोटोकॉल सूचना भेजे जाने वाले कंप्युटर के पते को संभलता है जिससे  सूचना के पैकेट को उचित कंप्युटर तक भेजा जा सके । 
  • यह आईपीएस पते को सत्यापित करता है इसके बाद मे  इंटरनेट से जुड़े नेटवर्क पर गेटवे कंप्यूटरों को पैकेट को आगे भेजता है । 

 

डेटा संचार के घटक (components of data communication)


एक संचार प्रणाली निम्नलिखित घटकों से बनी होती है:


1. Message

  • संदेश सूचना का एक टुकड़ा है जिसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक प्रेषित किया जाना है।
  • यह एक टेक्स्ट फ़ाइल, एक ऑडियो फ़ाइल, एक वीडियो फ़ाइल आदि हो सकती है।

2. Sender

  •  यह  एक उपकरण है जो डेटा संदेश भेजता है।
  •  यह कंप्यूटर, मोबाइल, टेलीफोन, लैपटॉप, वीडियो कैमरा या वर्कस्टेशन आदि हो सकता है।

3. Receiver 

  • यह एक उपकरण है जो संदेश प्राप्त करता है। 
  • यह एक कंप्यूटर, टेलीफोन मोबाइल, वर्कस्टेशन आदि हो सकता है।

4. Transmission Medium

  • संचार चैनल वह माध्यम हैं जो दो या दो से अधिक वर्कस्टेशनों को जोड़ते हैं। 
  • वर्कस्टेशन को वायर्ड मीडिया या वायरलेस मीडिया द्वारा जोड़ा जा सकता है।

5. Protocol 

  • जब कोई डेटा भेजता है (प्रेषक), तो यह रिसीवर को भी समझ में आना चाहिए अन्यथा यह अर्थहीन है। 


डेटा संचार का रूप (Forms of Data Transmission)


किसी भी डेटा संचरण के लिए विद्धुत संकेत का उपयोग किया जाता है । यह दो प्रकार से हो सकता है । 

(a) एनालॉग  (Analog)
(b) डिजिटल  (Digital)


(a) एनालॉग  (Analog)
  • एनालॉग सिग्नल का उपयोग भौतिक मापों के लिए किया जाता है एनालॉग सिग्नल मे सिग्नल एक सतत सिग्नल होता है । साइन तरंगों द्वारा निरूपित किए जाते है .
  • टेलीफोन सिस्टम इसका एक अच्छा उदाहरण है । 
(b) डिजिटल  (Digital)
  • सिग्नल को भेजने के लिए बाइनरी (1sओर  0s ) का उपयोग किया जाता है । 
  • यह सिग्नल भेजने के समय एक समान संरचना बनाए रखता है । 
  • संकेत असतत होते है । 


डेटा संचार का माध्यम (Transmission Medium)


  • जब प्रेषक (sender)  ओर प्राप्तकर्ता (receiver) के बीच मे डेटा संचरण या आदान- प्रदान करने के लिए एक माध्यम की आवश्यकता होती है . 
  • यह भौतिक माध्यम ही डेटा संचार का माध्यम (Transmission Medium) कहलाता है . इसके द्वारा ही डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान तक इलेक्ट्रोमेग्नेटिक सिग्नल्स (Electromagnetic Signals) के फॉर्म में भेजा जाता है. 
  • यह डेटा प्रेषक (sender)  ओर प्राप्तकर्ता (receiver) के बीच मे बिट्स के रूप मे होता है . 
  • डेटा संचार के माध्यम  का चयन उसकी लागत , माध्यम के कार्य करने की क्षमता ओर माध्यम के द्वारा डेटा संचरण की गति के आधार पर किया जाता है । 

प्रेषण माध्यम के प्रकार  (Type of Transmission Medium)

 
यह मुख्यतया 2- प्रकार के हो सकते है 
 
1. तार वाले प्रेषण माध्यम (Guided Media)
2. बेतार प्रेषण माध्यम (Unguided Media)



तार वाले प्रेषण माध्यम

  • इसमे प्रेषक (sender)  ओर प्राप्तकर्ता (receiver) के बीच मे डेटा संचरण या आदान- प्रदान करने के लिए  एक तार या केबल का उपयोग किया जाता है इसको ही निर्देशित माध्यम (Guided Media) कहा जाता है .
  • इनका उपयोग उच्च गति , सुरक्षित  ओर  तुलनात्मक रूप से कम दूरी के लिए उपयोग किया जाता है
 
इसमे प्रयुक्त किए जाने वाले तार या केबल के आधार पर निम्न प्रकार मे विभाजित किया जा सकता है । 


(1)  Twisted Pair Cable  


  • ट्विस्टेड-पेयर केबल दो तांबे के अलग -2 इंसुलेटेड तारों से मिलकर बनी हुई होती है ये तार आपस मे एक दूसरे से सर्पीलाकार लिपटे हुए एक कुंडलिनुमा संरचना बनाते है । 
  • इस संरचना के द्वारा विद्धुत विरोध को कम किया जाता है । 
  • तारों को ऐसे एक -दूसरे के विपरीत घूमाने से इनका विद्धुत विरोध को कम हो जाता है इस तरह के interference को क्रॉस टॉक (cross talk) कहते है । 


ट्विस्टेड-पेयर केबल दो प्रकार के होते है । 


(a)  Unshielded Twisted Pair (UTP)


  • इनमें दो इंसुलेटेड तांबे के तार होते हैं जो एक दूसरे के चारों ओर कुंडलित होते हैं। 
  • इस प्रकार के ट्रांसमिशन मीडिया हस्तक्षेप (interference) को बिना किसी physical shield के रोकते हैं
  • अनशील्ड ट्विस्टेड पेयर को स्थापित करना बहुत आसान होता है  
  • ये लागत मे कम होते है .
  • ये हाई-स्पीड लिंक प्रदान करते हैं।
  • लोकल एरिया नेटवर्क मे इसका काफी प्रचलन होता है । 
  • टेलीफोनिक सिस्टम मे इसका उपयोग किया जाता है .
       

लाभ (Advantages) 


  • ये किफायती होते है अथार्थ इनकी लागत कम होती जिस से ये सस्ते होते है । 
  • इनको स्थापित करना आसान होता है । 
  • इनकी डेटा स्थानतारित करने की क्षमता उच्च  होती है । 


नुकसान (Disadvantages)


  • बाहरी हस्तक्षेप के प्रति संवेदनशील 
  • एसटीपी की तुलना में कम क्षमता और प्रदर्शन
  •  क्षीणन के कारण कम दूरी का संचरण


(b)  Shielded Twisted Pair (STP)



  • शील्डेड ट्विस्टेड पेयर (एसटीपी)  का उपयोग टेलीफोन और लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) वायरिंग के साथ ही  व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में किया जाता है।
  • इसमे दो इंसुलेटेड तांबे के तारों को एक दूसरे के चारों ओर घुमाया जाता है।


  • इन तारों के बीच ओर चारों तरफ एक फॉइल का आवरण होता है जो संचरण के समय डेटा को बाह्य अवरोधों से बचाता है . इसके ऊपर एक तारों से बनी हुई shield होती है उसके उपरांत इसके ऊपर एक PVC jacket होती है ।
  • एसटीपी केबल यूटीपी वायरिंग की तुलना में अधिक महंगे और स्थापित करने में कठिन हैं।



लाभ (Advantages) 


  • बिजली का शोर होने से तारों को नुकसान  होने की संभावना रहती है उसे रोका जा सकता है और पूरी तरह से दूर किया जा सकता है
  • इन्सुलेशन के उसी टोकन द्वारा क्रॉसस्टॉक को भी कम किया जा सकता है
  • यह आम जनता के लिए बहुत सुलभ है क्योंकि इसे संभालना आसान है और स्थापित करना भी आसान है

नुकसान(Disadvantages)


  • ये तार विकृत हो सकते हैं जिसका अर्थ है कि यह विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप के प्रति संवेदनशील है और इससे तार का प्रदर्शन सीमित हो सकता है
  • केबल के विभिन्न जोड़े के भीतर होने वाली विभिन्न देरी के कारण उत्पन्न हो सकता है। इससे व्यक्ति द्वारा किए जा रहे कार्य की गुणवत्ता ख़राब हो सकती है
  • एक ही सिस्टम में उपयोग किए गए विभिन्न तारों के बीच असंतुलन भी हो सकता है। इस प्रकार, विविधता भी एक समस्या पैदा कर सकती है


(2)  Coaxial Cable

  • इसमे एक विद्धुत रोधी प्लास्टिक के आवरण से घिरा हुआ एक तांबे का मुख्य तार होता है जिसे कोर core कहलाता है  । 
  • यह प्लास्टिक का आवरण पीवीसी पदार्थ से बना हुआ होता है  इस आवरण के चारों ओर एक तांबे की जाली बनी होती है जो एक विद्धुत रोधी आवरण से ढकी हुई होती है । 
  • डेटा का संचरण तांबे के तार के द्वारा होता है 
 

  • कोएक्सियल केबल का उपयोग  केबल टीवी ट्रांसमिशन , लंबी दूरी के टेलीफोन संचार , लोकल एरिया नेटवर्क मे किया जाता है । 
  • कंप्युटर युक्तियों को जोड़ने मे किया जाता है । 


समाक्षीय केबल के अनुप्रयोग (Applications of Coaxial cable)

  • समाक्षीय केबल का उपयोग ईथरनेट LAN में किया जाता है और MAN में भी उपयोग किया जाता है
  • टेलीविजन: टेलीविजन के लिए उपयोग की जाने वाली समाक्षीय केबल 75 ओम और आरजी-6 समाक्षीय केबल होगी।
  • इंटरनेट: RG-6 केबल का उपयोग इंटरनेट सिग्नल ले जाने के लिए भी किया जाता है, 
  • सीसीटीवी: आरजी-59 और आरजी-6 दोनों केबल  का उपयोग सीसीटीवी सिस्टम में भी किया जाता है 
  • वीडियो:  आरजी-6 का उपयोग बेहतर डिजिटल सिग्नल के लिए किया जाता है और आरजी-59 का उपयोग वीडियो सिग्नल के दोषरहित प्रसारण के लिए किया जाता है।
  • एचडीटीवी: एचडीटीवी आरजी-11 का उपयोग करता है क्योंकि यह सिग्नल स्थानांतरित करने के लिए अधिक स्थान प्रदान करता है।

लाभ  (Advantages) 

  • कोएक्सियल केबल उच्च बैंडविड्थ का समर्थन करते हैं।
  • समाक्षीय केबल स्थापित करना आसान है।
  • समाक्षीय केबलों में बेहतर कट-थ्रू प्रतिरोध होता है इसलिए वे अधिक विश्वसनीय और टिकाऊ होते हैं।
  • शोर या क्रॉस-टॉक या विद्युत चुम्बकीय अनुमान से कम प्रभावित होती है . 
  • समाक्षीय केबल कई चैनलों का समर्थन करते हैं. 

नुकसान (Disadvantages)

  • समाक्षीय केबल महंगे हैं.
  • किसी भी क्रॉसस्टॉक को रोकने के लिए समाक्षीय केबल को ग्राउंड किया जाना चाहिए।
  • चूंकि समाक्षीय केबल में कई परतें होती हैं इसलिए यह बहुत भारी होती है।
  • हैकर्स द्वारा समाक्षीय केबल को तोड़ने और "टी-जॉइंट" जोड़ने की संभावना है, इससे डेटा की सुरक्षा से समझौता होता है।

(3)  Optical Fiber Cable

  • इस केबल मे डेटा का संचरण प्रकाशीय तरंगों के रूप मे होता है ।जो ऐनलॉग ना होकर डिजिटल होता है
  • ऑप्टिकल फाइबर पूर्ण आंतरिक परावर्तन नामक सिद्धांत का उपयोग करता है।
  •  ऑप्टिकल फाइबर आकार मे इंसान के बाल के समान होता है ओर काफी लचीला होता है ।
  •  इसका व्यास 2 से 125 माइक्रोमीटर होता है ।
  •  इसका भीतरी भाग प्लास्टिक ओर कांच से निर्मित होता है जिसे कोर कहते है इसके चारों ओर एक कांच की पतली परत होती है जिसे क्लैडिंग कहा जाता है .
  • क्लैडिंग में कोर की तुलना में कम अपवर्तक सूचकांक होता है। 
  • कोर मे इसके कारण ही भीतर पूर्ण आंतरिक परावर्तन होता है । 
  • अधिकांश फाइबर डुप्लेक्स जोड़े में काम करते हैं.
  • एक फाइबर का उपयोग संचारित करने के लिए किया जाता है और दूसरे का उपयोग प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
 

फाइबर ऑप्टिक केबल के दो मुख्य प्रकार हैं

(a) सिंगल मोड फाइबर (एसएमएफ)

  •  इस प्रकार के फाइबर का उपयोग लंबी दूरी के लिए किया जाता है .
  • इसमें एक बहुत पतला कोर होता है जो प्रकाश के केवल एक ही मोड को प्रसारित करने की अनुमति देता है।
  • सिंगल मोड फाइबर ऑप्टिक केबल का उपयोग आमतौर पर CATV, इंटरनेट और टेलीफोन अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है
 

(b) मल्टी-मोड फाइबर (एमएमएफ)

 
  • यह एक व्यापक कोर होता है जो एक साथ कई किरणों को प्रसारित कर सकता है .
  • यह सिंगल मोड केबल से लगभग 10 गुना बड़ा है
  • ये केबल  केवल कम दूरी पर डेटा भेज सकते हैं।
  • इनका उपयोग कंप्यूटर नेटवर्क को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है.
  • मल्टीमोड फाइबर ऑप्टिक केबल चार प्रकार के होते हैं जिन्हें "ओएम" (ऑप्टिकल मल्टीमोड) कहते  है.
 
 
 

लाभ  (Advantages)

  •  कम बिजली हानि और लम्बी  दूरी तक डेटा ट्रांसमिशन की अनुमति देता है.
  • ऑप्टिकल केबल विद्युत चुम्बकीय हस्तक्षेप के लिए प्रतिरोध है
  • फाइबर केबल का आकार 4.5 गुना है जो तांबे के तारों से बेहतर है
  • केबल हल्के, पतले होते हैं, जिससे वे तांबे के तारों की तुलना में कम क्षेत्र का उपयोग करते हैं
  •  इनका वजन कम होने के कारण इंस्टालेशन बेहद आसान है।

 
 

नुकसान (Disadvantages)

  •  इन केबलों को मर्ज करना बहुत मुश्किल है इसलिए केबल के भीतर बीम का नुकसान होगा
  • इन केबलों की लागत अन्य की तुलना इ अधिक होती है।
  • ये तारों जितने मजबूत नहीं होते हैं।
  •  फिटिंग करते समय ये केबल अत्यधिक कमजोर होती हैं
  •  ये केबल तांबे के तारों की तुलना में अधिक कमजोर होते हैं।
  • फ़ाइबर ऑप्टिक केबल लगाना महंगा है। 
  • फ़ाइबर ऑप्टिक केबल लगाने के लिए महंगी स्प्लिसिंग मशीनों और प्रशिक्षित विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है।
 



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